दीपावली 2025 लक्ष्मी–गणेश पूजा मुहूर्त (Hindi Guide): प्रदोषकाल, स्थिर लग्न, शहर–वार समय और आसान फ़ॉर्मूला
झटपट सार
- मुख्य तिथि (भारत): अधिकतर प्रामाणिक पंचांगों के अनुसार सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी पूजा श्रेष्ठ मानी गई है (अमावस्या 20 अक्टूबर 3:44 PM से 21 अक्टूबर 5:54 PM तक फैलती है)।
- आदर्श समय क्या है? प्रदोषकाल में, जब अमावस्या तिथि चल रही हो, और स्थिर (वृषभ/कुंभ) लग्न में पूजन श्रेष्ठ माना गया है। कई पंचांग इसी सिद्धांत पर शहर–वार मुहूर्त निकालते हैं।
- क्यों कुछ जगह अलग तारीख दिखती है? क्योंकि अमावस्या 20–21 अक्टूबर के बीच फैली है, सूर्यास्त–स्थानीयता के कारण कुछ सूचियाँ मामूली भिन्नता दिखाती हैं पर ज्यादातर शहर 20 अक्टूबर की शाम पूजन करेंगे।
2025 शहर–वार लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (चुनिंदा शहर, 20 अक्टूबर 2025)
नीचे के समय प्रदोषकाल/वृषभ लग्न पर आधारित न्यूज–राउंडअप/पंचांग संकलन पर हैं। अपनी लोकेशन के लिए अंतिम क्रॉस-चेक जरूर करें।
- नई दिल्ली: 07:08 PM – 08:18 PM
- मुंबई: 07:41 PM – 08:41 PM
- पुणे: 07:38 PM – 08:37 PM
- अहमदाबाद: 07:36 PM – 08:40 PM
- जयपुर: 07:17 PM – 08:25 PM
- गुरुग्राम: 07:09 PM – 08:19 PM
- नोएडा: 07:07 PM – 08:18 PM
- हैदराबाद: 07:21 PM – 08:19 PM
- बेंगलुरु: 07:31 PM – 08:25 PM
- चेन्नई: 07:20 PM – 08:14 PM
- कोलकाता: 05:06 PM – 05:54 PM
मुहूर्त चुनने का आसान फ़ॉर्मूला (घर बैठे)
- तिथि देखें: कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को 3:44 PM से शुरू होकर 21 अक्टूबर 5:54 PM तक है इस विंडो के भीतर शाम का समय चुनें।
- प्रदोषकाल फ़ोकस: सूर्यास्त के आसपास ~2 घंटे का विंडो (स्थान-निरपेक्ष) यहीं लक्ष्मी–गणेश पूजा करें।
- स्थिर लग्न बोनस: अगर आपके शहर में वृषभ/कुंभ लग्न प्रदोष में आ रहा है, वही गोल्डन स्लॉट है (उदा. दिल्ली के लिए 07:08–08:18 PM संदर्भित)।
टिप: चोगड़िया में शुभ/लाभ/अमृत आते हों तो वही दीप–प्रज्वलन/कुबेर पूजन का समय रखें—पर प्राथमिकता हमेशा अमावस्या + प्रदोष + स्थिर लग्न को दें।
पूजा सामग्री (शॉर्ट चेकलिस्ट)
घी/तेल के दिए, सूखे‐मेवे, धूप, कुमकुम–हल्दी–चावल, इत्र, नए खाते/कलम, चांदी/तांबे का सिक्का, लक्ष्मी–गणेश प्रतिमा/चित्र, कमल/गेंदे के फूल, पंचमेवा/पेड़ा, कलश, जल, रोली, नैवेद्य, आरती-थाली, दो बत्ती, इत्यादि।
लक्ष्मी–गणेश पूजा विधि (स्टेप–बाय–स्टेप)
- शुद्धिकरण: घर–द्वार, पूजास्थल साफ; उत्तर/पूर्वमुख बैठें।
- दीप–प्रज्वलन: मुख्य द्वार, तुलसी/बालकनी और मंदिर में दिए जलाएँ।
- संकेत–पूजन: श्रीगणेशाय नमः से शुरू कर महालक्ष्मी आवाहन—अभिषेक (जल/दूध), वस्त्र/अक्षत/कुमकुम, पुष्प, इत्र।
- कोष/खाते पूजन: नए खाते/लैपटॉप/कैलकुलेटर पर स्वस्तिक व्यापार/करियर के लिए प्रार्थना।
- कुबेर–पूजन: धन–संचय के प्रतीक सिक्के/तिजोरी पर दीप/धूप-नैवेद्य।
- कथा/मंत्र: श्रीसूक्त/लक्ष्मी अष्टकम/कनकधारा स्तोत्र में से जो सुविधा हो।
- आरती और प्रसाद: परिवार संग आरती—छोटों को पहला प्रसाद, फिर दीपदान/आतिशबाज़ी सुरक्षित रूप से करें।
अक्सर की जाने वाली 7 गलतियाँ (और समाधान)
- अमावस्या के बाहर पूजन: तिथि-विंडो चेक करें।
- प्रदोष के बजाय देर रात: निशीथ भी शुभ हो सकता है, पर प्रदोष + स्थिर लग्न प्राथमिक।
- चोगड़िया को ओवरराइड: सहायक है, पर मुख्य सूत्र नहीं कंफ्यूज हों तो शहर-वार स्लॉट अपनाएँ।
- एक ही शहर एक ही समय मान लेना: सूर्यास्त अलग-अलग; इसलिए शहर-वार सूची/लोकल पंचांग देखें।
- सरकारी कैलेंडर = पूजा मुहूर्त समझना: सरकारी छुट्टी की तारीख और धार्मिक मुहूर्त अलग हो सकते हैं। छुट्टी-सूचियाँ संदर्भ हैं, पूजा का समय पंचांग तय करता है।
2025 की तारीखों पर कनफ़्यूज़न क्यों?
इस वर्ष अमावस्या 20–21 अक्टूबर के बीच फैली है; इसलिए कुछ संस्थाएँ/न्यूज़लेटर्स अलग सुझाव दे सकती हैं। ज्यादातर पंचांग लक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर, प्रदोषकाल मानते हैं इसीलिए ऊपर दिया गया शहर-वार स्लॉट भी उसी आधार पर है। अंतिम निर्णय हेतु अपने शहर का सूर्यास्त-समय/स्थिर लग्न देखें।
त्वरित रेफरेंस/स्रोत
- सिटी-वाइज़ मुहूर्त, दिल्ली संदर्भ: प्रदोषकाल, वृषभ/कुंभ लग्न के साथ 2025 के शहर–वार स्लॉट।
- अमावस्या विंडो (20–21 अक्टूबर 2025): आरंभ 3:44–3:45 PM (20 Oct) से अंत 5:54–5:55 PM (21 Oct)।
- “लक्ष्मी पूजा 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर” (वर्ष–सूची संदर्भ):
- सरकारी छुट्टी कैलेंडर (तिथियाँ भिन्न हो सकती हैं):
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FAQs (संक्षेप)
Q1. अगर मेरे शहर के लिए अलग स्लॉट दिखे तो?
A. अमावस्या + प्रदोष + स्थिर लग्न तीनों मिलें तो वही लें; वरना प्रदोषकाल में नज़दीकी शुभ स्लॉट चुनें।
Q2. क्या देर रात (निशीथ) में भी पूजा कर सकते हैं?
A. परंपरा प्रदोषकाल की है; निशीथ/महनिशा भी वैकल्पिक है, पर प्राथमिकता प्रदोषकाल।
Q3. क्या सरकारी छुट्टी की तारीख ही पूजा का दिन है?
A. आवश्यक नहीं वह प्रशासनिक सूची है; पूजा का मुहूर्त पंचांग/तिथि पर निर्भर करता है।