Urban Navratri 2025 celebrations showing vibrant garba and dandiya nights in city pandals filled with colorful lights and enthusiastic dancers.

Urban Navratri 2025: शहरी गरबा और डांडिया की रंगीन, मस्ती भरी त्योहार की झलक

शहरी नवराात्रि 2025 सिटी की गरबा और डांडिया की रंगीन, मस्ती भरी रातें

2025 की शहरी नवराात्रि ने फिर से साबित कर दिया कि यह त्योहार केवल पारंपरिक देवी-पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों में भी यह जीवन के उत्साह और युवा ऊर्जा का सशक्त प्रतीक बन गया है। जैसे-जैसे शाम ढलती है, शहर के लोकप्रिय पंडाल जगमगाते हैं, जहां गरबा और डांडिया की धुनों पर लाखों युवा और बड़े उमंग के साथ थिरकते नजर आते हैं।

शहरी नवराात्रि क्यों खास है? शहरों में नवराात्रि बहुआयामी होती जा रही है। पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ इस रंगीन उत्सव में मनोरंजन, फैशन और सोशल कनेक्शन की भी भरमार होती है। नवराात्रि का यह शहरी रूप आपको पुराने त्यौहार की गहरी आध्यात्मिकता के साथ-साथ एक जीवंत, आधुनिक सामाजिक माहौल भी प्रदान करता है।

गरबा और डांडिया की रौनक शहर के ज्यादातर बड़े पंडाल डिजिटल रोशनी, लाइव संगीत और डीजे से लैस होते हैं। गरबा के पारंपरिक कदमों में ट्विस्ट और मॉडर्न बीट्स जुड़ जाते हैं, जिससे ये नाइट्स दोहरी ऊर्जा और अदा से भर जाती हैं। युवा हॉइलाइट्स में बिना किसी रोक-टोक के थिरकते हैं, जिससे जोश और सनसनी का माहौल बन जाता है।

आधुनिकता का असर सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग से लेकर ऑनलाइन टिकटिंग तक, 2025 के अर्बन नवराात्रि ने डिजिटल आयामों को खूब अपनाया है। यह युवाओं को इस त्योहार के प्रति और अधिक उत्साहित करता है तथा उन्हें ग्लोबल लेवल पर भी जोड़ता है।

रिश्ते, बातचीत और नशा शहरी नवराात्रि सिर्फ पूजा नहीं बल्कि नए रिश्ते बनाने, पुरानी दोस्ती को ताज़ा करने और रोमांचक शाम बिताने का भी बहाना बनती है। गरबा के बीच मिलने वाली छेड़छाड़, डांडिया की नाड़ियों पर बढ़ती दिल की धड़कनें, और त्योहार की नशे में डूबी वो अलग ही दुनिया है।

धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक समृद्धि इस बीच, घरों और मंदिरों में कन्या पूजन और प्रतिदिन पूजा-अर्चना चलती रहती है। परंपरागत भजनों के बीच पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेलजोल का जादू भी कायम रहता है, जो नवराात्रि को एक समृद्ध सामाजिक त्योहार बनाता है।

निष्कर्ष 2025 की शहरी नवराात्रि मुस्कान, उत्साह, आध्यात्मिकता और शहरी युवाओं की मस्ती का पावन संगम है। अगर आप इस बार भी इस त्योहार का मज़ा लेना चाहते हैं, तो एक बार शहर के चमकीले पंडालों में जरूर शामिल हों।

10 मिनट के मुकाबले में केंद्र ने जगदीप धनखड़ को भेजा इस्तीफे का ‘सेकंड-टू-फाइव’ अल्टीमेटम!

10 मिनट टू 5 पीएम: केंद्र ने कैसे पूरी की जगदीप धनखड़ की डेडलाइन?

परिचय

21 जुलाई 2025 को भारतीय राजनीति में एक बड़ा और अचानक बदलाव आया जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे का समय और प्रक्रिया खासतौर पर ध्यान देने योग्य रही क्योंकि केंद्र सरकार ने शाम 5 बजे के लगभग डेडलाइन तय की थी, जिसे मिनटों के भीतर पूरा किया गया। इस लेख में हम उस रोचक टाइमलाइन, राजनीतिक दबाव, स्वास्थ्य कारण और केंद्र की रणनीति पर चर्चा करेंगे।

इस्तीफा और डेडलाइन की पृष्ठभूमि

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अचानक, स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। उनकी यह घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहली दिन हुई, और उनकी पदावधि इससे पहले 2027 अगस्त तक थी। इस्तीफा देने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत हुई, जिसमें उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को लिखित इस्तीफा देते हैं और स्वीकार किए जाने पर वह तुरंत प्रभावी होता है।

केंद्र सरकार ने इस इस्तीफा तुरंत आवश्यक मान्यता दी, और माना जाता है कि शाम 5 बजे तक इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। यह डेडलाइन राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों से तय की गई थी ताकि उपराष्ट्रपति पद की रिक्तता को शासन व्यवस्था प्रभावित न करे।

दिन भर की टाइमलाइन: 1 बजे से 5 बजे तक का मंथन

  • दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में राज्यसभा के व्यापार सलाहकार समिति की बैठक हुई, जिसमें सरकार के महत्वपूर्ण मंत्री और सदस्य उपस्थित थे।
  • दोपहर 4:30 बजे के लिए अगली बैठक टाली गई क्योंकि सरकार का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ था।
  • दोपहर 5 बजे से पहले कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं ने उपराष्ट्रपति से मुलाकातें कीं। यह माना जा रहा है कि इन वार्तालापों में भविष्य की राजनीति और इस्तीफे पर चर्चा हुई।
  • वहीं, इसी दिन विपक्ष द्वारा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के खिलाफ अनुशासनात्मक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे उपराष्ट्रपति ने मंजूर किया था, जो केंद्र के राजनीतिक एजेंड़े के खिलाफ माना गया।
  • शाम लगभग 9:25 बजे, धनखड़ ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर इस्तीफे की घोषणा की, जो अब तक से लेकर शाम 5 बजे की डेडलाइन से पहले की सीधी कार्रवाई का परिणाम था।

राजनीतिक दबाव और केंद्र की रणनीति

विश्लेषकों के अनुसार, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारण के अलावा गहरे राजनीतिक कारण भी थे। केंद्र सरकार की रणनीति को देखते हुए यह समझा गया कि विपक्ष द्वारा न्यायाधीश के खिलाफ कार्यवाही के बाद केंद्र ने उपराष्ट्रपति को लेकर अपना असंतोष जताया था। एक संभावित अविश्वास प्रस्ताव का डर भी था, जिसे टालने के लिए इस्तीफा लेना जरूरी समझा गया।

केंद्र की ओर से इस डेडलाइन पर कार्रवाई कर इस्तीफे को शीघ्र स्वीकार कर लेने का मकसद उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को लेकर सियासी स्थिरता बनाए रखना तथा आगामी सत्र कार्यों में व्यवधान से बचना था।

स्वास्थ्य कारणों का हवाला: क्या था सच?

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का उल्लेख किया। हालांकि, उनकी सक्रियता और दिनभर के कार्यों को देखकर कुछ राजनीतिक जानकार इस तर्क पर संदेह भी जता रहे हैं। परंतु सीवी के अनुसार, उनका यह निर्णय अंततः राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों ही पहलुओं को मिलाकर लिया गया था।

निष्कर्ष: कैसे केंद्र ने डेडलाइन पर बनाया फाइनल फैसला

केंद्र सरकार ने 21 जुलाई के दिन हर स्तर पर तेज़ी से काम करते हुए उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को अपना लिया। राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए रणनीतिक इंतजाम किए गए और डेडलाइन तक यह सुनिश्चित किया गया कि पद खाली होने के बावजूद लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित न हो।

यह घटना भारतीय लोकतंत्र में संवैधानिक पदों की अहमियत, राजनीतिक समीकरण और समय की महत्ता को दर्शाती है।

13 साल बाद निर्देशन की कुर्सी पर लौटे मानव कौल

13 साल बाद निर्देशन की कुर्सी पर लौटे मानव कौल: अपनी किताब से पर्दे पर उड़ाएंगे हिमालयी जादू!

मानव कौल की निर्देशन में 13 साल बाद वापसी: अपनी किताब 'साक्षात्कार' के साथ नया सफर

अभिनेता, लेखक और नाट्य निर्देशक मानव कौल 13 साल के लंबे अंतराल के बाद फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में वापसी करने जा रहे हैं। उनके निर्देशन के इस नए प्रोजेक्ट का आधार उनकी 2024 में प्रकाशित पुस्तक 'साक्षात्कार' है, जिसे अब उन्होंने स्क्रीनप्ले में परिवर्तित कर हिमालय की खूबसूरत वादियों में फिल्माए जाने की तैयारी शुरू कर दी है।

13 साल बाद निर्देशक बने मानव कौल: कहानी और शूटिंग

मानव कौल की यह फिल्म उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल की कुछ अनछुई लोकेशनों पर शूट की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह फिल्म एक मनोरंजक ज़ोन में है, जिसमें हास्य और एक दिलचस्प कहानी दोनों का समावेश है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता व्यावसायिकता से अधिक अच्छी फिल्म बनाने की है, जिससे दर्शकों का दिल जीत सकें।

फिल्म में मानव कौल स्वयं भी मुख्य भूमिका निभाएंगे, साथ ही कुमुद मिश्रा, मानसि भवळकर और कुछ रंगमंच कलाकार भी इसके हिस्से होंगे। शूटिंग नवंबर 2025 में शुरू होगी।

मानव कौल का मकसद और उनकी फिल्म की विशिष्टता

मानव कहते हैं कि वे चाहते हैं कि यह फिल्म दर्शकों को एक नया अनुभव दे, जो पारंपरिक और व्यावसायिक फिल्मों से अलग और अधिक व्यक्तिगत हो। उनका मानना है कि यदि स्क्रिप्ट मजबूत होगी तो फिल्म अपने दर्शक स्वयं बनाएगी। वे अपने थिएटर के अनुभव और अपने पाठकों के बेस को ध्यान में रखते हुए ऐसा फिल्म निर्माण करना चाहते हैं, जिससे दर्शक आनंद लें।

यह वापसी मानव कौल के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहां वे निर्देशन के साथ-साथ अभिनय में भी संतुलन बनाए रखेंगे।

हिमालय की पृष्ठभूमि और स्थानीय संस्कृति का संलयन

फिल्म का परिवेश हिमालय है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विशेष सांस्कृतिक विरासत के कारण भारतीय सिनेमा में एक अनोखा मंच प्रदान करता है। मानव ने इस क्षेत्र के सुदूर और कम छुए हुए इलाकों को चुना है, जिससे फिल्म में वास्तविकता और ताजगी बनी रहे।

मानव कौल की जीवनी और उपलब्धियां

मानव कौल, जिनका जन्म 19 दिसंबर 1976 को हुआ था, न केवल एक प्रशंसित अभिनेता और नाटककार हैं, बल्कि लेखक और निर्देशकों में भी गिने जाते हैं। उन्हें "तुम्हारी सुलु" और "साइना" जैसी फिल्मों के लिए विशेष पहचान मिली है। वे थिएटर से शुरू होकर फिल्म और वेब सीरीज में अपनी छाप छोड़ चुके हैं।

निष्कर्ष: एक सशक्त निर्देशन के लिए नया अध्याय

मनव कौल की यह वापसी बताती है कि भारतीय सिनेमा में कथानक-प्रधान और सांस्कृतिक रूप से मजबूत फिल्मों की भूख बनी हुई है। 13 साल बाद निर्देशन में लौटते हुए, वे अपनी किताब की कहानी के माध्यम से दर्शकों के दिलों को छूने का प्रयास करेंगे। उनके इस कदम से हिंदी सिनेमा में नए अंदाज और विषद कथाओं का क्रमशः समावेश होगा।

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